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باز او آن خشک را تر میکند |
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گوییا ز استیزه ضد بر میتند |
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لیک این دو ضد استیزهنما |
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یکدل و یککار باشد در رضا |
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هر نبی و هر ولی را ملکیست |
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لیک تا حق میبرد جمله یکیست |
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چونک جمع مستمع را خواب برد |
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سنگهای آسیا را آب برد |
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رفتن این آب فوق آسیاست |
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رفتنش در آسیا بهر شماست |
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چون شما را حاجت طاحون نماند |
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آب را در جوی اصلی باز راند |
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ناطقه سوی دهان تعلیم راست |
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ورنه خود آن نطق را جویی جداست |
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میرود بی بانگ و بی تکرارها |
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تحتها الانهار تا گلزارها |
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ای خدا جان را تو بنما آن مقام |
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کاندرو بیحرف میروید کلام |
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تا که سازد جان پاک از سر قدم |
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سوی عرصهٔ دور و پهنای عدم |
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عرصهای بس با گشاد و با فضا |
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وین خیال و هست یابد زو نوا |
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تنگتر آمد خیالات از عدم |
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زان سبب باشد خیال اسباب غم |
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باز هستی تنگتر بود از خیال |
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زان شود در وی قمر همچون هلال |
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باز هستی جهان حس و رنگ |
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تنگتر آمد که زندانیست تنگ |
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علت تنگیست ترکیب و عدد |
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جانب ترکیب حسها میکشد |
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زان سوی حس عالم توحید دان |
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گر یکی خواهی بدان جانب بران |
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امر کن یک فعل بود و نون و کاف |
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در سخن افتاد و معنی بود صاف |
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این سخن پایان ندارد باز گرد |
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تا چه شد احوال گرگ اندر نبرد |
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