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خوبت آراست ای غلام ایزد |
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چشم بد دورخه به نام ایزد |
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نافرید و نیاورید به حسن |
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هیچ صورت چو تو تمام ایزد |
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در جهان جمالت از رخ و زلف |
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بهم آورد صبح و شام ایزد |
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سبب آبروی جانها کرد |
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خاک کوی تو گام گام ایزد |
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از پی عزت جمال تو داد |
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صورت لطف را قوام ایزد |
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از پی منت وجود تو کرد |
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گردنانرا به زیر وام ایزد |
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از پی خدمت رکاب تو داد |
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آدمی را دم دوام ایزد |
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کرد گرد سم ستور رهت |
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سرمهی چشم خاص و عام ایزد |
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برهمن را چو پرسی ایزد کیست |
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گوید آن رخ نگر کدام ایزد |
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ای به هر دم شراب آدم خوار |
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زده بر جام جانت جام ایزد |
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سر دام خودی نداری هیچ |
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زان مدامت دهد مدام ایزد |
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وز برای شکار دلها ساخت |
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خال تو دانه زلف دام ایزد |
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آنچنان کعبهای که هست ترا |
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در و دیوار و صحن و بام ایزد |
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بده انصاف هیچ وا نگرفت |
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از تو از نیکویی و کام ایزد |
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خوبت آراستهست طرفه تر آنک |
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خود همی گویدت به نام ایزد |
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تو مقیمی از آن سنایی را |
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داد بر درگهت مقام ایزد |
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