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بلانی حینا بعد حین بلوته |
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فلم الف رعدیدا ینهنهه السّفک [کذا] |
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و حنّکنی کیما یعوّد ازمتی |
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فطحطحته حنکا و ما عضّنی الحنک |
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لیعلم هذا الدّهر فی کلّ حالة |
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بأیّ فتی المضمار اصبح یحتکّ |
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نمانی آباء کرام أعزّة |
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مراتبها أنّی یحیط بها الدّرک |
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فما مدرک باللّه یبلغ شأوهم |
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و إن یک سبّاقا فغایته التّرک |
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فلا برقهم یا صاح إن شئت خلّب |
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و لا وفدهم و کس و لا وعدهم إفک
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و له ایضا:
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و قد سبکت عقیانه نار محنة |
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و بالسبک عقیان الرّجال یهذّب |
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و قد شذّبته النّائبات و إنّما |
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تفرّع غصن الدّوح حین یشذّب |
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میگویند اوّل او در بغداد تحصیل علم از سیّد ابو العبّاس کرد و بعد از آن بقاضی القضاة عبد الجبّار همدانی پیوست و در مجلس او تخرّج افتاد و بنهایت رسید. چنین آوردهاند که شبی بعد از خفتن خلایق بدرگاه قاضی آمد و او خفته بود، بیدار کردند و گفتند سیّد ابو الحسین بر در است، فرمود که درون آوردند، مسئلۀ از قاضی بحث کرد، قاضی گفت همین مهمّ را آمدی، گفت آری اندیشه کردم امشب وفات رسد و در دین شاکّ بوده باشم و بشبهت. و در عهد او ابن سکّرة الهاشمی قصیدۀ گفته بود در ذمّ آل ابو طالب، شعر:
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إنّ الخلافة مذ کانت و مذ بدأت |
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موسومة بفتی من آل عبّاس |
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اذا انقضی عمر هذا قام ذا خلفا |
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ما لاحت الشّمس و امتدّت علی النّاس |
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فقل لمن یرتجیها غیرهم سفها |
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لو شئت روّحت کرب الظنّ بالیاس |
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سیّد ابو الحسین جواب میگوید شعر:
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قل لابن سکرة یا نغل عبّاس |
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أضحت خلافتکم منکوسة الرّأس |
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